उसे शिकायत नही, बस इश्क़ है।
उसकी परवाह को वो इश्क़ बताती है..
और इश्क़ भी एकतरफ़ा और पूरा।
उसे फर्क नही पड़ता कदमो से मेरे,
खुदको परछाई जो मानती है।
ना रास्ता जानती है, ना रास्ता बनाना।
बस वहीं जहाँ मैं, और यही दोहराना।
समझाया जब मैंने उसे उन राहो के बारे में,
जो अँधेरी है और ज़रूरी भी,
जहाँ बिछाड़ती है परछाइयाँ सभी।
जवाब था,
उसे शिकायत नही, बस इश्क़ है।
~गिरीश
उसकी परवाह को वो इश्क़ बताती है..
और इश्क़ भी एकतरफ़ा और पूरा।
उसे फर्क नही पड़ता कदमो से मेरे,
खुदको परछाई जो मानती है।
ना रास्ता जानती है, ना रास्ता बनाना।
बस वहीं जहाँ मैं, और यही दोहराना।
समझाया जब मैंने उसे उन राहो के बारे में,
जो अँधेरी है और ज़रूरी भी,
जहाँ बिछाड़ती है परछाइयाँ सभी।
जवाब था,
उसे शिकायत नही, बस इश्क़ है।
~गिरीश
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