Tuesday, April 11, 2017

आप जैसा हूँ, पर अलग हूँ।

आप जैसा हूँ, पर अलग हूँ।

कहानियां मेरी भी है, पर सारी अधूरी है..
छोटी इतनी, चाय की कुछ चुस्कियों जितनी ।
और दिलचस्प इतनी, की चाय अधूरी लगे अगली बार..

मैं कैसा हूँ ये समझाना मुश्किल है, शायद ये कहानियां कर पाए।
चमकीली आँखों सी खुशनुमा, कभी पिघलती आँखों सी संगीन।
किस्से जो सोचे ना जा सके, और ज़ायका उनमे नमकीन।

कुछ कहानियां ख़ास है, कहीं ख़ास बताने का अंदाज़।
कुछ जुड़े लोगो से जुड़ी और कुछ उनसे दूरी के राज़।

सोचता हूँ वो भी कहानी बता ही दूँ,
जिसे याद रखना मुश्किल नही।

मगर वो खुलासा ना कर दे, कि मैं क्यों आखिर ऐसा हूँ।
मैं आप जैसा क्यों हूँ, और अलग कैसे?

~गिरीश

2 comments:

अंतर्द्वंद

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